आज विश्व पोहा दिवस है , एमपी वालों के लिए पोहा बस नाश्ता नहीं एक संस्कार हैं, एक धरोहर है ।पोहा स्पेशल

पोहे कि टिक्की

जो रोज खाए पोहा

पोहा स्वाद वालो के लिए स्पेशल लेख

 

आज विश्व पोहा दिवस है , एमपी वालों के लिए पोहा बस नाश्ता नहीं एक संस्कार हैं, एक धरोहर है जो पीढ़ी से पीढ़ी हस्तांतरित होता है।

पोहा इंदौर की सुबह होने का एक प्रतीक है। पोहे की भाप से उठते धुएं से ही पता चलता है कि इंदौर की सुबह हो गई। किसी इंदौरी की आंख खुलती है तो उसका पहला कदम पोहे की ठेले की तरफ ही होता है। दूसरे शहरों में लोग सुबह उठकर प्रभू का नाम लेते हैं, लेकिन यहां लोग सुबह उठकर सबसे पहले पोहे का ही नाम लेते हैं।

 

आम लोग बस सुबह पोहा खाते है , पर एम्पियन , लंच ब्रेकफ़ास्ट डिनर , कभी भी किसी भी समय पोहा खा सकते है |

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सुबह के नाश्ते में एक प्लेट पोहा खाने से आपके दिन की शुरुआत बहुत अच्छी होती है. पोहा पेट के लिए हल्का होने के साथ-साथ एक अच्छा प्रोबायोटिक भी है. इस व्यंजन में मटर, प्याज, धनिया और यहां तक कि कुरकुरी मूंगफली जैसी विभिन्न सब्जियां डालकर बनायीं जाती हैं, जो इसे अत्यधिक पौष्टिक बनाती हैं. पोहा फाइबर से भरपूर होता है जो रक्त प्रवाह में चीनी की धीमी और परमानेंट रिलीज को बढ़ावा देता है. पोहा में डायटरी फायबर होता है जो पेट भरा रखता है, जिसकी वजह से अधिक खाने से रोक सकते हैं. पोहा में हेल्दी कार्बोहाइड्रेट होता है जो लंबे समय तक एक्टिव रहने के लिए अत्यधिक एनर्जी देने में मदद करता है.

 

पोहा एमपी की ईकानमी भी चलाता है , इसी पोहे की वजह से एक पूरे वर्ग की रोजी-रोटी का इंतजाम होता है। वो सुबह सिर्फ दो घंटे के लिए पोहा का ठेला लगाता है और चमत्‍कारिक ढंग से अपने परिवार की गुजर-बसर करता है।

 

इसी पोहे पर सेंव वालों, नुक्‍त‍ी वालों, प्‍याज वालों, नींबू वालों और जीरावन वालों की लाइफ लाइन जुड़ी हुई है। एक पोहा ही वो इंजन है जो इन सबके जीवन के ड‍िब्‍बों को आगे खींचता है। इसलिए पोहे का मतलब स‍िर्फ स्‍वाद ही नहीं, किसी का पेट भी है। यानि ये खाने वालों की आत्‍मा को तृप्‍त करता है तो वहीं बनाने वालों के पेट को भरता है।

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पोहे के एक छोटे से ठेले के आगे सारे साउथ इंड‍ि‍यन और चाइनीज फूड के ठेले मक्‍खी मारते हुए नजर आते हैं।

इसकी खासियत है कि यह अकेला भी जोरदार है और इसके साथ कचोरी या जलेबी रख दी जाए तो यह खाने वाले के लिए स्‍वर्ग बन जाता है। यहीं से उसका मुक्‍ति का सफर शुरू हो जाता है।

 

शायद इसीलिए स्‍वर्ग और नर्क की अवधारणा सिर्फ पोहे में है। सुबह ऑफ‍िस जाने से पहले रस से भरी दो जलेबि‍यों के साथ पोहा उसके लिए स्‍वर्ग है तो किसी दिन अगर वो पोहा न खाए पाए तो समझो नर्क।

#indorewale

इंदौर कहोगे तो पोहा सुनाई देगा।

 

विश्व के हर पोहा प्रेमी को #विश्व_पोहा_दिवस पर सेंव के साथ बधाई।

 

सेंव संग पोहा मिले

धनिये संग रहे प्याज

नींबू संग जीरावन हो

तो बचे ना कोई आस

स्पेशल पोहा जलेबी नाश्ता

 

????..#पोहे——–⭐.. सामग्री..

* 100 ग्राम – पोहे,  * 1 बड़ा कप – दूध  *2 कप – हरी मटर दाने *1 छोटे चम्मच – पंचफोड़न,   *2 पत्ता – तेजपत्ता,   *2 बड़े – प्याज,  *2 बड़े – टमाटर, *4 लम्बी – हरी मिर्च ,* छोटा पीस – अदरक       *2 पीस – बड़ी इलायची  * 1 छोटे चम्मच – काली मिर्च  * 1 बड़ा चम्मच – हरी धनिया पत्ती (बारीक)  * स्वादानुसार – नमक *1 बड़ा चम्मच – तेल आवश्यकतानुसार – पानी

⭐.. बनाने की विधि..

पोहे को सबसे पहले दूध में भिगो दें थोड़ा पानी भी डाल सकते हैं. प्याज, हरी मिर्च, अदरक, टमाटर को साफ कर काट लें. कढ़ाही को गैस की फ्लेम ऑन कर रख दें.

.फिर तेल डालकर गर्म करें. फिर पंच फोड़न, तेजपत्ता, हरी मिर्च का तड़का, अदरक गर्म तेल में डाल दें. तड़का हल्का सुनहरा होने पर कटी प्याज सुनहरा करें. फिर कटे टमाटर, नमक डाल ढककर आंच धीमी कर दें.

पांच मिनट बाद टमाटर पकते ही मटर डाल ढक कर पका लें. फिर पोहे को डालकर मिक्स कर खुला ही भुने. तीन मिनट बाद काली मिर्च पाउडर, बड़ी इलायची पाउडर, हरी धनिया बारीक कटी मिक्स कर फ्लेम ऑफ कर दें.

. सुबह या शाम के नाश्ते में चाय के साथ गरमागरम स्वादिष्ट पोहे सर्व कीजिए..

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