आपको नहीं लगता कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद किए बिना गणतंत्र दिवस अधूरा है

संवाददाता करण चरोले

भारतीय संविधान के निर्माता, जिन्होंने भारत को दिया दुनिया का सबसे अच्छा गणतंत्र। उन्हे सिर्फ शोषित, वंचित, पिछड़ो के नेता तक ही सीमित करना जातिगत मानसिकता का परिचायक है।

भारत के संविधान को सलाम, देश के प्रति लड़ने वाले शहीदों को सलाम, देश पर अपनी जान निछावर करने वाले गुमनाम शहीदों को सलाम।

गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के पावन अवसर पर में बात कर रहें है. गणतन्त्र के महानायक बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी की जिनकी वजह से हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

हम लोग गणतंत्र के महानायक बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जी के हमेशा ऋणी रहेगे, जिन्होंने समता समानता पर आधारित दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान दिया। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने आजाद भारत में सभी वर्गो की भागीदारी सुनिश्चित की।

महामानव डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जी को याद किए बिना अधूरा है ‘गणतंत्र दिवस। 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ भारत के संविधान आज देश को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में विश्व में सम्मान की निगाह से देखा जाता है।

आज गणतंत्र दिवस है, हमारे देश के सभी सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों, स्कूलों कालेजों में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस बड़े धूमधाम से तैयारियों के साथ बड़ी – बड़ी झाँकिया, रैलीयाँ निकालकर मनाया जाता है। लेकिन क्यों मनाया जाता है? जानने पर एक ही जवाब मिलता है की, इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, लेकिन उस संविधान के रचियता का नाम दूर-दूर तक कोई नही लेता। हमारा राष्ट्र भारतवर्ष एक गणतंत्र राष्ट्र बना जिनके संघर्षो, त्याग, समर्पण की वजह से ये सम्भव हो पाया वो है लेकिन भारतरत्न, महामानव, बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर जी लेकिन संविधान के शिल्पकार का नाम दूर-दूर तक कोई नहीं लेता। इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है। आपको बता दें हमारा संविधान विश्‍व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने के लिए भारतीय संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया था, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था, डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने संविधान को दो साल ग्यारह महीने अठारह दिनों में तैयार कर राष्ट्र को समर्पित किया था, आपको बता दें कि हमारा संविधान विश्‍व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है। इसे बनाने वाली संविधान सभा के अध्यक्ष आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक भीमराव अम्बेडकर जी थे, गणतंत्र दिवस का इतिहास बड़ा ही रोचक है. एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया।

26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई. इसलिए 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है, समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है, भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा।

आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे महानायक, लेकिन भारतीय जातिवादी-मानसिकता ने सदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई। भारत में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा हो, जिसने देश के निर्माण, उत्थान और प्रगति के लिए थोड़े समय में इतना कुछ कार्य किया हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी ने किया है और शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो, जो निंदा, आलोचनाओं आदि का उतना शिकार हुआ हो, जितना आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर जी हुए थे। बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी जिंदा है, उनको मानने और जानने वालों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है।

आधुनिक भारत के लिए महत्त्वपुर्ण योगदान और देश इंसानों के जीवन में अद्वितीय बदलाव लाने वाले महान शख्सियत बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के चरणों में मैं कोटि-कोटि नमन करता हूं। परमपूज्य, भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी ऐसे योद्धा, महामानव का नाम है, जिन्होंने शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की उपेक्षितों को उनका हक दिलाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया। जातिगत भेदभाव पांखडवाद को बढाने वालों के खिलाफ वास्तविक और ठोस लड़ाई छेड़ने वालों में बाबासाहेब जी का उल्लेखनीय नाम है।

शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा।

जिसने देश को दी नई दिशा आपको नया जीवन दिया वह है आपका संविधान। आपको बता दें कि भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था।

लेखक – रूपेश भंडोले कसरावद (जिला खरगोन मप्र)

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