गौशालाओं में पानी-बिजली समस्या का निवारण करेंगे जिले के सक्षम अधिकारी :– Ujjain news

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उज्जैन 15 जून। स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी की अध्यक्षता में हुई मध्यप्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड की कार्य- परिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। गौशालाओं में संरक्षित गौवंश के पीने के पानी और गौशालाओं में सतत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अब संबंधित जिले के सक्षम अधिकारियों की होगी।

बैठक में संचालक पशुपालन डॉ. आरके मेहिया, प्रबंध संचालक कुक्कुट विकास निगम श्री एचबीएस भदौरिया, संयुक्त संचालक पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री एमएल त्यागी, श्री पीएस पटेल और रजिस्ट्रार श्री बीएस शर्मा मौजूद थे।

 

स्थानीय निकाय निराश्रित गौवंश को गौशाला पहुँचाएंगे

बैठक में निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री गौसेवा योजना में पंचायत स्तर पर नवनिर्मित गौशालाओं में स्थानीय निकायों द्वारा सड़कों पर भटकने वाले निराश्रित गौवंश को पहुँचाएंगे। इससे निराश्रित गौवंश को पालन-पोषण मिलने के साथ किसानों की फसल भी सुरक्षित रहेगी। बैठक में नवीन गौशालाओं का पंजीयन और जिन गौशालाओं का पंजीयन हो गया है उनका अनुमोदन किया गया।

 

प्रशिक्षण प्रकोष्ठ का गठन

गौशालाओं में प्रशिक्षण प्रकोष्ठ का गठन किया जायेगा। प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर गौशाला संचालन में रूचि रखने वाले लागों को विभिन्न तरह के गौ-उत्पाद का निर्माण का प्रशिक्षण दिया जायेगा। मनरेगा में नवनिर्मित क्रियाशील गौशालाओं के सुचारू संचालन के लिए गौशाला संचालन एजेंसी के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जायेगा।

गौवंश वन्य-विहार प्रदेश के कई जिले मे विकसित किये जायेंगे

प्रदेश में कई जिलों में गौवंश वन्य-विहार विकसित किये जायेंगे। कार्य-परिषद ने जिलों में चिन्हित स्थानों पर जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही करने के निर्देश जारी करने का निर्णय भी लिया। गौ-संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष और अधिकारियों द्वारा प्रदेश की गौशालाओं का भम्रण कर सतत निरीक्षण किया जा रहा है। इन गौशालाओं की समस्याओं के निराकरण के निर्देश भी जारी किये गये।

मध्यप्रदेश में निराश्रित गायों को समुचित संरक्षण देने के लिए अब गोवंश वन्य विहार बनाए जाएंगे। गोसदन को प्रदेश सरकार फिर शुरू करने जा रही है। इनका नाम गोवंश वन्य विहार होगा। ऐसे प्रदेश के कई जिले मे वन्य विहार शुरू किए जाएंगे। यह जंगल से जुड़ी राजस्व भूमि में होंगे, जिससे गोवंशीय पशुओं को चरने के लिए जंगल में छोड़ा जा सके। एक वन्य विहार में पांच हजार से अधिक गोवंशीय पशुओं को रखने की व्यवस्था होगी।

 

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