झूठे चुनावी वादों तक सिमटा ग्राम भुलगांव के पहुँच मार्ग का निर्माण, सड़क के आभाव ने रोकी गाँव के विकास की रफ़्तार Barwah news

Karan Carole. 

update 19/11/24 10:30AM
बड़वाह –   विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में आज भी ऐसे कई गांव मौजूद हैं जहाँ बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। जिला मुख्यालय खरगोन से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत भुलगांव गाँव ऐसे ही ग्रामों की फेहरिस्त में शामिल है। जहाँ, बुनियादी सुविधाओं में से एक बारहमासी सुगम आवागमन वाले पहुँच मार्ग के निर्माण की आज तक किसी ने सुध नहीं ली। देश की आजादी के सात दशक बाद भी इस गांव के लोगों को एक अदद पहुँच मार्ग नसीब नहीं हो सका। जिसका खामियाजा यहां के सब्जी, दूध उत्पादक प्रगतिशील किसानों-पशु पालकों और दूसरे लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अत्यंत ही जर्जर उड़ब-खाबड़ कच्ची सड़क होने के कारण इस गांव के लोग अपनी सब्जी और दूध को बिक्री के लिए आसपास की मण्डी में नहीं पहुंचा पाते। इससे साफ़ जाहिर है कि प्रभावित किसानों-पशु पालकों को उनके उत्पादन तथा श्रम का वाजिब मूल्य नहीं मिलने से उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।

क्षेत्र के ग्राम भुलगांव में पांच गांवों की सड़कों को जोड़ने के लिए ग्रामीण शासन से लंबे समय से मांग कर रहे हैं। जिसे लेकर ग्रामीणों ने ग्राम सभा में ठहराव प्रस्ताव भी बनवाया है। ग्रामीणों कई सालो से जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगा रहे है।

खेतो का रास्ता पैदल चलने लायक नहीं किसान हो रहे परेशान

ग्रामीणों ने बताया खेतों में जाने का रास्ता बहुत खराब है। बैलगाड़ी, ट्रैक्टर फंस जाते हैं। वहीं कई बार बैल भी कीचड़ में फंस चुके हैं। ग्रामीणों ने बताया हर साल बारिश में स्थिति ज्यादा खराब हो जाति है। इसे लेकर जिम्मेदार ध्यान नहीं देते। खेतों में जाने के रास्ते पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। स्कूल बसे भी नहीं निकल पाती। प्रेमलाल पठान ने बताया भुलगांव से डालियाखेड़ी को जोड़ने वाला 4 किमी का मार्ग बेहद खस्ताहाल है। जगह-जगह से उबड़ खाबड़ हो गया है। इस मार्ग पर पुल की आवश्यकता है। नदी में थोड़ा पानी आने पर भी किसान बैलगाड़ी नहीं निकाल पाते। कई बार आवेदन निवेदन के बाद भी निराकरण नहीं होता। ग्रामीणों की समस्या पर विधायक ने जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री सड़क निर्माण स्वीकृत करने की बात कही। विधायक ने बताया ग्राम पंचायत भुलगांव का ठहराव प्रस्ताव प्रस्ताव प्रस्तुत कर बताया है कि ग्राम भुलगांव से भोगावा निपानी मार्ग बहुत जर्जर हो चुका है।

 

उबड़-खाबड़ रास्ते के कारण गांव के सब्जी उत्पादक किसान हो रहे परेशान

बड़े-बड़े गड्ढे होने से किसानों को फसल सामग्री लाने ले जाने में असुविधा होती है। उक्त मार्ग से गांव भोगावां निपानी, डाल्याखेडी, भोगावा सिपानी, मोगावा, राहटकोट जाने का आवागमन बाधित रहता है। ग्रामीणों ने भोगावां निपानी मार्ग पर प्रधानमंत्री सड़क निर्माण करवाने की मांग की है। इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएं। वहीं ग्राम पंचायत सचिव अजय सिसोदिया ने बताया ग्राम पंचायत से ठहराव प्रस्ताव व विधायक का पत्र जिला कार्यालय में दिया गया है। इस दौरान राजकुमार पठान, सुदर्शन, तुलसीराम, दिलीप छलोत्रा, लोकेश मौजूद थे।

 

*ग्राम की 70 प्रतिशत जनसंख्या इस रास्ते का करती है उपयोग*

 

सुदूर गांवों व खेत तक पहुंचने वाले रास्ते को व्यवस्थित करने के प्रशासन व सरकार भले ही लाख दावे करें, लेकिन सच्चाई इससे अलग है। क्षेत्र के ग्राम के 70 प्रतिशत से अधिक किसानों को 6 किमी का रास्ता घूम कर जाना पड़ता है। जबकि खेतो तक जाने का रास्ता सीधा केवल दो किमी का है। यह गांव से सीधे खेतों में जाता है। पिछले कई दर्शकों से मार्ग निर्माण की मांग के बाद भी सुधार नहीं हुआ है। दो किलोमीटर बाद दूसरे गांव के खेत आ जाते है अब किसानों का बारिश के मौसम में इस रास्ते से निकलना जोखिमभरा साबित हो रहा है। हार बार बारिश में कीचड़ से भरा मार्ग पैदल तक नहीं निकल पाते है। यदि भूल से बैलगाड़ी, टैक्टर से निकल जाए तो इसे निकालने के लिए भारी मशक्कत करना पड़ती है। इस दो किमी रास्ते की हालत इतनी खराब है कि पैदल निकलने में भी परेशानी होती है। पूरा मार्ग कीचड़ से सन जाता है। ऐसी स्थिति में किसानों को 6 किमी दूर बेडिया के रास्ते से खेतों तक जाना मजबूरी बन गई है।

 

बारिश के मौसम में चुनौती भरा रास्ता
बारिश के मौसम में चुनौती भरा रास्ता

बारिश  के माहिने में निकलना चुनौती से कम नहीं,

 

किसान तुलसीराम बिजगावनिया, प्रेमलाला पठान, नत्थू शाह, मिश्रीलाल छलोत्रा, सुदर्शन पठान, राजकुमार पठान आदि ने कहा 70 प्रतिशत से अधिक किसानों का खेतों में आना-जाना लगा रहता है। इस मार्ग पर बारिश में कीचड़ जम जाता है। बारिश के दौरान तो इस रास्ते से निकलना किसी चुनौती से कम नहीं है। कही बार बारिश बैलगाड़ी ओर टैक्टर कीचड़ में फस जाते है तो दूसरे वाहन से खीच कर निकलना पड़ता है। अब मार्ग निर्माण को लेकर जनसुनवाई में मांग रखी जाएगी। फिर भी इस पर ध्यान नहीं दिया तो किसान सड़क निर्माण के लिए जन आंदोलन करेंगे।

 

समय  खराब होने के साथ आर्थिक नुकसान भी 

 

एक ओर तो शासन खेत सड़क मार्ग के लिए कई प्रकार की योजनाएं संचालित कर रहा है। खेतों के रास्ते को सुधारने के लिए विशेष अभियान चला रहे है। इसके बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खेतों में फसल खराब हो जाती है तब तक आना-जाना नहीं हो पाता है। मजबूरी में 6 किमी का लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है। इसमें समय अधिक लगता वाल है। ट्रैक्टर व अन्य वाहनों से आने-जाने में खर्च भी अधिक आता है।

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