भोपाल : अप्रैल से स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में बच्चों के हर साल नए बुक्स और ड्रेस खरदना अभिभावकों के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है। तो वही दूसरी तरफ पेरेंट्स की मजबूरी का फायदा उठाने के लिए प्राइवेट स्कूल कोई कसार नहीं छोड़ रही है। जिसको देखते हुए अभिभावकों के हित में जिला प्रसाशन ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत अब स्कूलों में बुक्स और सिलेबस हर साल बदलने पर रोक लगा दी गई है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्कूलों की मनमानी का संज्ञान लेते हुए सोमवार एक अप्रैल को बड़ा आदेश दिया. सीएम मोहन यादव के आदेश के अनुसार, अब प्राइवेट स्कूल किसी निर्धारित दुकान से ही किताबें, यूनिफॉर्म और बाकी शिक्षण सामग्री खरीदने का दबाव अभिभावकों पर नहीं बना सकते. अगर ऐसी कोई शिकायत मिली, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दे दिए. स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टरों को पत्र भी जारी कर दिया है. इसके तहत मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई होगी. अधिनियम के तहत स्कूल संचालक पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है.
हर साल अभिभावकों से मिलती है शिकायत
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुताबिक स्कूल का नया सत्र शुरू हो गया है. कुछ निजी स्कूल संचालकों ने नए शिक्षण सत्र शुरू करते हुए विद्यार्थियों को पढ़ना भी शुरू कर दिया है. ऐसी स्थिति में हर साल कुछ स्कूल संचालक के खिलाफ पालकों की शिकायत आती है कि वे यूनिफॉर्म और कोर्स खरीदने को लेकर निर्धारित दुकान पर जाने के लिए पालकों पर दबाव बनाते हैं.
इसी के चलते मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टर को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस प्रकार का कृत्य करने वाले स्कूल संचालकों पर कड़ी कार्रवाई करें. इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी पत्र जारी किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह भी अल्टीमेटम दिया है कि यदि कोई निजी स्कूल संचालक चेतावनी के बावजूद नियमों का उल्लंघन करता है तो स्कूल की मान्यता रद्द भी की जा सकती है. इसके अलावा ₹2,00,000 तक का जुर्माना भी हो सकता है.
जबलपुर 40 स्कूलों के खिलाफ आई शिकायत
राज्य सरकार के आदेश के बाद जबलपुर में लगभग ढाई सौ शिकायतें पहुंच गई और 40 स्कूल जांच के दायरे में आ गए. इनमें सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल, सिटीजन किंगडम स्कूल, पायल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, टेडी स्मार्ट किड स्कूल, पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल, एकलव्य ऑफ एक्सीलेंस स्कूल, लिटिल किंगडम स्कूल, एमएम इंटरनेशनल स्कूल, स्कॉटिश कान्वेंट स्कूल के खिलाफ शिकायत हुई हैं.
कलेक्टर ने बनाई जांच टीम
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जबलपुर जिला प्रशासन ने तहसीलदार, एसडीएम के साथ मिलकर एक टीम बनाई है जो स्कूलों की जांच कर रही है और पुस्तक विक्रेताओं की भी जांच कर रही है.
निजी स्कूल संचालकों में मंच गई खलबली
पूर्व में यह देखने में आया है कि कई पालकों ने कुछ निजी स्कूल संचालकों पर निर्धारित दुकान से यूनिफॉर्म, कोर्स आदि सामान खरीदने के लिए दबाव बनाया. पालकों ने यह भी आरोप लगाया कि कमीशन खोरी के चलते इस प्रकार का दबाव बनाया जाता है. पहली बार शिक्षा मंत्री के स्थान पर सीधे मुख्यमंत्री ने निजी स्कूल संचालकों को अल्टीमेटम दे दिया है.
पेरेंट्स पर दबाव बनाने पर स्कूलों पर होगी FIR
ड्रेस और किताबों को लेकर निजी स्कूल नहीं कर सकते मनमानी, एक्शन की तैयारी में शिक्षा विभाग
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक काफी परेशान हो चुके हैं। निजी स्कूलों की मोनोपोली पर ब्रेक लगाने के लिए कलेक्टर जल्द ही एक आदेश जारी करने जा रहे है। जिसके तहत अब स्कूल संचालकों को सिलेबल में बदलाव से पहले कलेक्टर और डीईओ से परमिशन लेनी होगी। सिलेबस और यूनिफॉर्म बदले जाने की जानकारी एक साल पहले संचालकों को देनी होगी। तो वही बच्चों के पेरेंट्स पर किसी तरह का दबाव बनाने पर स्कूलों पर FIR होगी।
इस अल्टीमेटम का कितना लाभ पलकों को मिल पाता है यह तो वक्त बताएगा मगर मुख्यमंत्री के आदेश के बाद निजी स्कूल संचालकों में खलबली जरूर मच गई