रतलाम से संतोष तलोदिया की रिपोर्ट ????️????️
रतलाम – अपने पारंपरिक और लोक नृत्य से अब तक परिचित सुदूर आदिवासी अंचल में निवास करने वाली बालिकाओं के लिए यह अद्भुत अनुभव था। शासकीय कन्या शिक्षा परिसर रतलाम में रहकर अध्ययन कर रही बालिकाओं ने जब भारतीय शास्त्रीय नृत्य कला भरतनाट्यम के बारे में जाना तो वे इस कला से बहुत प्रभावित हुईं। कई बालिकाएं तो स्वयं इस नृत्य शैली की मुद्राओं को सीखने के लिए तत्पर हो गई।
अवसर था शासकीय कन्या शिक्षा परिसर रतलाम में नृत्य कला पर आयोजित सेमिनार का। सेमिनार में देश की सुप्रसिद्ध भरतनाट्यम कलाकार सुश्री तान्या सक्सेना ने नृत्य कला पर बालिकाओं को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भरतनाट्यम् को सबसे प्राचीन नृत्य माना जाता है। इस नृत्य को तमिलनाडु में देवदासियों द्वारा विकसित व प्रसारित किया गया था। शुरू शुरू में इस नृत्य को देवदासियों के द्वारा विकसित होने के कारण उचित सम्मान नहीं मिल पाया, लेकिन बीसवी सदी के शुरू में ई. कृष्ण अय्यर और रुकीमणि देवी के प्रयासों से इस नृत्य को दुबारा स्थापित किया गया।
स्पीक मैके और तक्षशिला के माध्यम से आयोजित इस सेमिनार में विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए तान्या ने कहा कि भरतनाट्यम के दो भाग होते हैं। इसे साधारणतः दो अंशों में सम्पन्न किया जाता है । पहला नृत्य और दूसरा अभिनय। नृत्य शरीर के अंगों से उत्पन्न होता है इसमें रस, भाव और काल्पनिक अभिव्यक्ति ज़रूरी है।भरतनाट्यम् में शारीरिक प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा जाता है ,समभंग, अभंग, त्रिभंग।
भरतनाट्यम की शैली से परिचित करवाने के साथ ही तान्या ने इस अवसर पर अपनी दो प्रभावी प्रस्तुतियां भी दी। पहली प्रस्तुति में उन्होंने भरतनाट्यम के माध्यम से प्रदर्शित किए जाने वाली विभिन्न भाव भंगिमाओं को प्रस्तुत किया, वहीं दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने नृत्य के माध्यम से नाटिका प्रस्तुत करना और उसमें विभिन्न भावों को समझना बताया।
बालिकाओं ने भी अभिव्यक्ति दी
यहां उपस्थित बालिकाओं ने जब भरतनाट्यम के विभिन्न पहलुओं को बारीकी से जाना तो उनके मन में भी इच्छा हुई कि वे भी तान्या सक्सेना के साथ अपनी कला की प्रस्तुति दें । यहां उपस्थित विद्यार्थियों ने तान्या के साथ अपनी प्रस्तुति दी, जिससे उनका हौंसला बढ़ा। स्पीक मैके रतलाम सेक्टर प्रभारी आनंद व्यास ने तान्या का परिचय दिया । संस्था प्राचार्य गणतंत्र मेहता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस आयोजन को विद्यालय की बालिकाओं के लिए बहुत उपयोगी निरूपित किया। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया तथा आभार विरेन्द्र सिंह राठौर ने माना। आयोजन में संस्था के शिक्षक उपस्थित थे।