खंडवा से सवांददाता कृष्णा गुप्ता की रिपोर्ट
खंडवा/बीड़-बीड़ से सात किलोमीटर की दूरी पर सिंगाजी समाधि स्थल पर हर वर्ष परंपरा अनुसार दस दिवसीय मेला जनपद पंचायत हरसूद द्वारा आयोजित किया जाता रहा पर इस वर्ष भारी तादाद में श्रद्धालुओं की पहुँचने की संख्या ज्यादा बताई जा रही है परन्तु सिंगाजी समाधि स्थल मांधाता विधानसभा क्षेत्र में मौजूद है। बाबा की समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष के अनुसार चढ़ने वाले निशान की पम्परा है। वह निशान एक माह पहले ही झाबुआ से निकल सिंगाजी समाधि स्थल पर पहुँचता है।
कहाँ जन्मे थे संत सिंगाजी महाराज
संत शिरोमणि सिंगाजी महाराज का जन्म बड़वानी के खजूरी गांव में हुआ था। पिता भीमाजी गवली और माता गवराबाई की तीन संतान थी। बड़े भाई लीम्बाजी और बहिन का नाम किसना बाई था। सिंगाजी महाराज का जसोदा बाई के साथ विवाह हुआ था। इनके चार पुत्र कालू,भोलू,सदू और दीप थे। सिंगाजी के जन्म और समाधि स्थल के बारे में विद्वानों के मत अलग-अलग है। कोई उनका जन्म 1574 में बताता है तो कोई 1576 में। इसके अलावा किसी विद्वान ने उनका जन्म 1616 बताया है।
शरद पूर्णिमा के दिन समाधि स्थल पर मुख्य रूप से चढ़ते है निशान
निमाड़ ले प्रसिद्ध संत सिंगाजी समाधि स्थल पर शरद पूर्णिमा पर विशेष रूप से दूर-दूर से आकर भक्त निशान अर्पित करते है और सिंगाजी महाराज के द्वार पर अपना शीश झुकाते है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है सिंगाजी धाम…
जब उनका समाधि स्थल डैम के बैक वाटर में डूबा तो सरकार को फैसला बदलना पड़ा। यहां 100 एकड़ में प्रदेश का पहला मानव निर्मित टापू बनाया गया। संत सिंगाजी समाधि स्थल खंडवा से 50 किलोमीटर दूर है। खंडवा पहुंचने के लिए कई ट्रेन मिल जाएंगी। यहां से बस या लोकल ट्रेन से बीड़ जाना होगा। बीड़ खंडवा से 40 किलोमीटर दूर है। बीड़ से समाधि स्थल तक के लिए ऑटो चलते हैं।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से इसकी दूरी 72 किलोमीटर है। ओंकारेश्वर से सनावद होकर मूंदी से यहां पहुंचा सकता है। खंडवा से बाइक या कार से जाना हो तो खंडवा से पुनासा रोड पर ही 16 किलोमीटर की दूरी पर जावर ग्राम है। जावर से सहेजला, वहां से गोराडिया गांव होते हुए बीड़ जाया जा सकता है। मूंदी के रास्ते इस रूट पर चलने से 10 किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है।