इंदौर-मासूम बच्चों कि जान से खिलवाड़, आरटीओ,ट्रैफिक नियमो का किया दरकिनार, पुलिस प्रशासन स्कूल प्रबंधक की आंखें बंद
इंदौर- छोटे बच्चों को स्कूल बस के भरोसे अच्छी शिक्षा के लिए घर से स्कूल भेजते हैं, उनके पालको के लिए ये खबर चौंकाने वाली है कि इन बसों के ड्राइवर-कंडक्टर आपके बच्चों की सुरक्षा की कितनी चिंता करते हैं और स्कूल प्रबंधन अपने कर्मचारीयो पर कितना ध्यान रखते है
बस ड्राइवर-कंडक्टर का दरअसल ध्यान सिर्फ नशाखोरी पर रहता है, बच्चों पर नहीं। उन्हें न हादसों की चिंता होती है, न स्कूल प्रबंधन का डर रहता है। वहीं सघन चेकिंग का दावा करने वाले आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस वालों का भी इन बसों पर कोई बस नहीं रहता है। यही वजह है कि शहर में बेलगाम दौडते स्कुल वाहन आए दिन आम जनता के साथ हादसों का शिकार होती रहती हैं।
कल ऐसे ही मामले का विडियो वायरल हुआ, जब बच्चों से भरी स्कूल बस को ड्राइवर ने रास्ते में खड़ा कर कंडक्टर को शराब लेने देशी कलाली पर भेज दिया। ये बस भी छोटे-मोटे स्कूल की नहीं, बल्कि शहर के जाने-माने और सबसे बड़े श्री गुजराती समाज स्कूल की थी। ये बस गुजराती स्कूल स्कीम-54 के नाम से रजिस्टर्ड है। इसका नंबर एमपी 09 एफ 9890 और इसका स्कूल क्रमांक 82 है। लोगों ने इस बस के ड्राइवर-कंडक्टर को इमली बाजार की देशी कलाली से शराब खरीदकर ले जाते हुए पकड़ा और जमकर हंगामा किया। लोग दोनों को सीधे सदर बाजार थाने ले गए और मामले की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस और लोगों ने भी ड्राइवर-कंडक्टर को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
लोगों की शिकायत के बाद स्कूल प्रबंधन ने दोनों को नौकरी से निकालकर अपने कर्तव्य की इतीश्री कर ली, जबकि देखा जाए तो ऐसे लापरवाह लोगों को नौकरी पर रखने वाला स्कूल प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि उसने नौकरी पर रखने से पहले ड्राइवर-कंडक्टर का सही तरीके से वैरिफिकेशन नहीं किया। यदि किया होता तो ये मामला सामने नहीं आता, जिसने मासूम बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर पालकों को चिंता में डाल दिया है।
डीपीएस स्कूल बस हादसे के बाद भी नहीं चेते
जनवरी 2018 में बायपास पर हुआ डीपीएस स्कूल बस हादसा आज भी लोगों के जेहन में है। तेज रफ्तार बस का स्टीयरिंग फेल होने से चार बच्चों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद कई नियम बने, लेकिन जिम्मेदारों ने दोबारा लापरवाही शुरू कर दी। यातायात पुलिस, आरटीओ विभाग की अनदेखी के कारण दोबारा हादसे होने लगे हैं। ट्रैफिक पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक उन्होंने हाल ही में 80 स्कूल बसों के चालान बनाए हैं, जो नियमों के विपरीत दौड़ रही थीं।
बच्चों की जान से खेल रहे चालक
पिछले महीने ही सुपर कॉरिडोर (दिलीप नगर) पर किड्स कॉलेज स्कूल की बस ने स्कूटर सवार पिता-पुत्र व पुत्री की जान ले ली थी। बस में करीब 35 बच्चे सवार थे, जिनमें से 12 घायल हुए थे। स्कूल बस में स्पीड गवर्नर नहीं था।
हादसे रोकने की कोशिश भी बेअसर
लापरवाह स्कूल प्रबंधन को सबक सिखाने और सड़क हादसे रोकने के लिए यातायात पुलिस ने एक्शन प्लान तैयार किया है। डीसीपी ने स्पेशल-35 टीम का गठन किया है, जो स्कूल से निकलते ही बसों की वीडियोग्राफी कर लापरवाही जांच रही है। पुलिस अभी तक चौराहों पर गाड़ियां रोक कर जांच करती थी। यातायात पुलिस के मुताबिक स्कूल बसों की जांच के लिए 35 टीमें गठित की गई हैं। सभी टीमें वीडियो कैमरा साथ रखेंगी और स्कूल आने-जाने वाली बसों की सघन चेकिंग कर उन मानकों की जांच करेंगी, जो सुप्रीम कोर्ट व राज्य सरकार ने स्कूल बसों के लिए लागू किए हैं। जरा भी लापरवाही पाई जाने पर बस चालक के साथ-साथ मेंटेनेंस अधिकारी व स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय की गई है।
कुछ दिन बाद ठंडा पड़ जाता है अभियान
किसी भी हादसे के बाद आरटीओ जल्द ही कार्रवाई की शुरुआत करता है। शहर में किसी भी शैक्षणिक संस्था के वाहन, विशेषकर स्कूली वाहनों से दुर्घटना होने पर आरटीओ जागता है और कार्रवाई करता है, लेकिन इसके बाद फिर यह मुहिम ठंडी पड़ जाती है। कुछ सालों पहले बायपास पर हुए डीपीएस बस हादसे के बाद परिवहन विभाग ने काफी सख्ती की थी और नई गाइडलाइन जारी की थी। इसमें हर बस में जीपीएस लगा हो, सीट बेल्ट लगा हो और स्पीड गवर्नर लगा होने जैसी मूलभूत आवश्यकताएं तय की गई थीं, लेकिन आज शहर में दौड़ रही ज्यादातर स्कूल बसों में इनका अता-पता नहीं है।