



सवांददाता कृष्णा गुप्ता
खंडवा/मध्यप्रदेश-जिले के ग्राम नागचून के कृषक श्री हरकचंद पिता चम्पालाल विकासखण्ड खण्डवा के निवासी है। इनके पास 1.40 हेक्टेयर की सिंचित जमीन है। इनकी शिक्षा इतनी नहीं थी कि नई तकनीक व योजना की जानकारी रख सके। इस कारण इन्हें 6 सदस्यों के भरण पोषण में बड़ी कठिनाई होती थी। इन्हें बच्चों के शिक्षा व बेहतर भविष्य के लिए सोचना संभव ही नहीं था। श्री हरकचन्द हमेशा ही जागरूक प्रवत्ति के कृषक रहे हैं। इन्हें एक दिन अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ने गेंहू फसल की सीडब्ल्यू 322 किस्म के बारे में बताया और प्रदर्शन के रूप में इनके खेत पर डलवाया। इन्होंने किसान खेत पाठशाला में बताए अनुसार खेत की तैयारी की। बीज उपचार किया तथा उन्नत तकनीक का उपयोग किया। परिणाम स्वरूप इन्हें दुगनी फसल उपज प्राप्त हुई। बुआई करते वक्त श्री हरकचंद ने ऐसी कल्पना भी नही की थी कि इसका इतना अभूत पूर्व परिणाम होगा। इन्हें कृषि विकास की ओर से बीज के अतिरिक्त सुक्ष्म पोषक तत्व जिंक, दवाईयां भी दी गई, जिसका उपयोग इन्होंने पूरी सांवधानी से किया।
हरकचंद को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के गेंहू प्रदर्शन से दुगुनी उपज व दुगुनी आय भी प्राप्त हुई एवं बीज अगले वर्ष के लिये भी बचाकर रखा गया। यह पूर्व में गेंहू की लोकवन किस्म लगाते थे। जिससे 6 क्विंटल प्रति एकड उपज प्राप्त होती थी। उन्हें प्रति एकड 8400 रू. आय प्राप्त होती थी। जिस पर इन्हें प्रति एकड लागत लगभग 6000 रू. लगती थी। इनके खेत से शुद्ध आय 2400 रू. प्राप्त होती थी। उन्नत फसल तकनीकी प्रदर्शन व नई किस्म को अपनाने से इन्हें 12 क्विंटल प्रति एकड़ उपज प्राप्त हुई, जिससे 16800 रू. प्राप्त हुए। इन्हें प्रति एकड लागत लगभग 5500 रूपये लगी तथा 11300 रू. प्रति एकड़ आय प्राप्त हुई।
इसके अलावा इन्होंने कृषि विभाग से अनुदान पर गोबर गैस संयंत्र, वर्मी पीट व नाडेप का निर्माण भी कराया, जिससे प्राप्त जैविक खाद से इन्हें कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त होने लगी है और इनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ। अब ये अपने बच्चों को शहर के अग्रेंजी माध्यम स्कूल में भेजने लगे हैं तथा कपास के लिए ड्रीप लेने के भी इच्छुक है। हरकचंद ने बताया कि किसी कार्य को करने से पहले शुरूआत ही कठिन होती है पर शुरू होने के बाद मंजिल दूर नही होती।