NCERT पैनल का प्रस्ताव- संविधान की प्रस्तावना हर क्लास की दीवार पर लिखी जाए स्कूली पाठ्यपुस्तकों में रामायण, महाभारत को शामिल करने की सिफारिश,

NCERT पैनल ने कहा है रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए

समिति की सिफारिश पर अब इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19-सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) द्वारा विचार किया जा सकता है। एनएसटीसी ने हाल ही में इस विषय के लिए पाठ्यक्रम और शिक्षण-शिक्षण सामग्री विकसित करने के लिए सामाजिक विज्ञान के लिए एक पाठ्यचर्या क्षेत्र समूह (सीएजी) का गठन किया है। इस बात पर जोर देते हुए कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। इस्साक ने कहा कि समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है।

हालांकि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। एक मिथक क्या है? यदि छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी। हालांकि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। एक मिथक क्या है? यदि छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी। इस्साक ने पहले कहा था कि पैनल ने कक्षा 3 से 12 तक की पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने, पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ नाम को ‘भारत’ से बदलने की भी सिफारिश की थी।

 

महाकाव्यों के बन सकते हैं अंश

समिति का कहना है कि इतिहास में शास्त्रीय काल के तहत रामायण और महाभारत को पढ़ाया जाना चाहिए। समिति ने कहा कि छात्रों को ये पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था। छात्रों के पास इन महाकाव्यों के बारे में बुनियादी ज्ञान होना जरूरी है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो रामायण और महाभारत से जुड़े कुछ प्रमुख अंश किताबों में शामिल किए जा सकते हैं। समिति ने सिफारिश की है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल 1 या 2 जगह के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए।

भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित दिए गए कई प्रस्ताव

सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में जानकारी को भी शामिल करना चाहिए। इससे छात्रों को भारतीय नायकों और उनके संघर्षों के बारे में जानने का मौका मिलेगा। समिति ने ये भी सुझाव दिया है कि प्रस्तावना को सभी कक्षाओं की दीवारों पर स्थानीय भाषाओं में लिखा जाना चाहिए।

जानकारी के मुताबिक उच्च-स्तरीय पैनल ने कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना स्थानीय भाषाओं में लिखे जाने की सिफारिश भी की है। पैनल ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने का सुझाव दिया।

 

गौरतलब है कि अभी इन सभी सुझावों पर एनसीईआरटी की स्वीकृति आना बाकी है। इसके अलावा एनसीईआरटी की स्कूली पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत लिखा जा सकता है। एनसीईआरटी की उच्च स्तरीय समिति ने इंडिया के स्थान पर भारत लिखे जाने की सिफारिश भी की है। वहीं, पाठ्यपुस्तकों में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने पर एनसीईआरटी का कहना है कि, इन खबरों पर किसी भी प्रकार कि टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी।

सामाजिक विज्ञान समिति ने दिए कई प्रस्ताव

स्कूलों के लिए सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए गठित राष्ट्रीय NCERT की सामाजिक विज्ञान समिति ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित कई प्रस्ताव दिए हैं।

प्रस्ताव को अभी NCERT से अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है

सुझाव सामाजिक विज्ञान पर अंतिम स्थिति पेपर का हिस्सा रहे हैं, जो एक प्रमुख दस्तावेज है जो इस विषय पर नई NCERT पाठ्यपुस्तकों के विकास में मदद करता है। प्रस्ताव को अभी NCERT से अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है।

 

इतिहास को चार पीरियड्स में वर्गीकृत करने की सिफारिश

प्रोफेसर ने बताया कि, पैनल ने इतिहास को चार पीरियड्स में वर्गीकृत करने की सिफारिश की है, शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत अब तक, भारतीय इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत। इसके अलावा शास्त्रीय काल के तहत, हमने सिफारिश की है कि भारतीय महाकाव्यों – रामायण और महाभारत – को पढ़ाया जाए। हमने सिफारिश की है कि छात्रों को यह पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था?

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