एक एकड़ में 4 लाख रुपये की मिर्च उपजाने वाले किसान हुए पुरुस्कृत :- khargon news

एफपीओ किसानों की उन्नति का समूह जिससे व्यापारी भी बन सकते हैंं

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वैज्ञानिकों से तकनीक और उन्नतशील किसानों से तरकीबें सीखने के लिए आयोजित किया मेला-कलेक्टर श्री वर्मा

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कलेक्टर श्री Shivraj Singh Verma के विशेष निर्देशों पर आत्मा परियोजना अंतर्गत कृषि उपज मंडी में दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। कृषि मेला आयोजित करने के पीछे किसानों को नवीन तकनीकों, एफपीओ की जानकारी और उन्नतशील किसानों से परम्परागत रूप से खेती कर रहे कृषकों को रूबरू कराने के लिए के उद्देश्य के लिए आयोजित किया गया। इस मेले में सभी तरह के किसानों और नवीन तकनीक जानने वाले विशेषज्ञों तथा जैविक खेती में कीटनाशकों तथा रासायनिक खाद, उन्नत बीज व कीटनाशकों की प्रदर्शनी लगाकर अवगत कराया गया। कलेक्टर श्री वर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में कई तरह के बदलाव सभी दूर आये हैं क्यों न किसान भी अपनी खेती के तरीकों में बदलाव करें। परम्परागत खेती तो सभी किसान जानते ही है। अब समय आधुनिक खेती का आ गया है। इसलिये उन्नतशील व आधुनिक खेती करने वाले किसान एक दूसरे से मेल जोल मिलाप करके कई तरह से आपस में तकनीकें व अनुभव साझा कर सकते हैं। इसके लिए कृषि मेला एक अच्छा माध्यम है। यहां लगाई गई जैविक कीटनाशकों की जीवंत प्रदर्शनी अनुभव देगी। साथ ही कई तरह की उन्नत किस्मों, कृषि यंत्रों और कीटनाशकों की लगाई गई प्रदर्शनी आप सभी को नई जानकारी दे सकती है। कृषि वैज्ञानिकों से तकनीक और उन्नतशील किसानों से तरकीबें सीखने का बेहतर अवसर देने के लिए मेला आयोजित किया गया है।

कृषि मेले में कृषि स्थायी समिति के जिला अध्यक्ष श्री पंकज बिरला, पूर्व विधायक श्री बाबूलाल महाजन, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री बापूसिंह परिहार, जिला पंचायत सदस्यों में सिगता सोलंकी, भीमसिंह धारवे, कल्याबाई, शोभाग सिंह चौहान, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष बड़वाह वीरेंद्र भाले, कृषि विशेषज्ञों में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी, ड़ॉ. वायके जैन, ड़ॉ. जीएस कुल्मी, डॉ. आरके सिंह उद्यानिकी उपसंचालक श्री केके गिरवाल उपस्थित रहे।

स्वागत संबोधन कृषि उपसंचालक श्री एमएल चौहान ने दिया। मंच का संचालन श्री राजकुमार शर्मा ने किया।

 

जिले में 85 प्रतिशत सिंचित खेती

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कलेक्टर श्री वर्मा ने किसानों को अवगत कराते हुए कहा कि प्रदेश में सबसे अधिक सिंचित खेती खरगोन में की जाती है। यहां 416640 हे. क्षेत्र में खेती की जाती है। जिसमें 3 लाख 65 हजार हे. में सिंचित खेती होती है। इसमें नहरों का भी बड़ा योगदान है। साथ ही बहुत जल्द खरगोन में बड़ी बड़ी माइक्रो उदवहन सिंचाई योजनाएं भी पूर्ण होने वाली है। इसके अलावा अन्य सिंचाई योजनाओं का भी कार्य प्रारम्भ हो चुका है। इस तरह इन परियोजनाओं के पूर्ण होने के बाद खरगोन में सिंचित रकबा और बढ़ जाएगा। एक तरह से सिंचाई एरिया और उत्पादन तो बढ़ ही रहा है। जरूरत है तो नवीन तकनीकों की। इसके लिए शासन द्वारा मेले आयोजित किये जा रहे हैं।

 

किसान सामूहिक रूप से जुड़े और एफपीओ बनाए

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कृषि विज्ञान मेले में कलेक्टर श्री वर्मा ने किसानों से कहा कि कुछ दिनों पहले एक एफपीओ के कार्यक्रम में जाना हुआ। उस एफपीओ ने 2 बड़े-बड़े वेयर हॉउस बनाये हैं जो किसी फसल को अच्छा दाम होने तक स्टोर करके रखते हैं। ऐसे ही अन्य किसान भी एफपीओ से जुड़कर व्यापारी भी बन सकते हैं। एआईएफ स्कीम से बड़े-बड़े वेयर हाउस और गोडाउन बना सकते हैं। साथ ही पीएमएफएमई स्कीम/योजना में किसान खाद्य प्रसंस्करण की इकाई लगा सकते हैं। ये सब एफपीओ से जुड़कर भी संभव है। एफपीओ का एक और लाभ है। वो किसानों को उपज बेचने के बाद लाभांश भी प्रदान करता है।

 

एक एकड़ में 4 लाख रुपये की मिर्च उपजाने वाले किसान हुए पुरुस्कृत

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कृषि मेले के दौरान कलेक्टर श्री वर्मा ने मंच से माइक थामकर किसानों से पूछा कि जो किसान एक एकड़ में 4 लाख रुपये की मिर्च की फसल ले रहा है। वो मंच से अपने अनुभव साझा कर सकते हैं। कलेक्टर श्री वर्मा की बात से प्रेरित होकर धीरे सिंह और निमगुल के किसान कर्माजी ने मंच से मिर्च उत्पादन में अपनाई अपनी तकनीक साझा की।

 

जिला स्तरीय सर्वाेत्तम कृषक पुरस्कार से सम्मानित हुए किसान

दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेले के दौरान कलेक्टर श्री वर्मा व उपस्थित जनप्रतिनिधियो ने जिला स्तरीय सर्वाेत्तम कृषक पुरस्कार से भी किसानों को सम्मानित किया। इसमें 25-25 हजार रुपये के साथ प्रमाण पत्र प्रदान किये गए। वहीं मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना अंतर्गत भट्याण खुर्द के रामेश्वर पिता धन्या को 4 लाख रूपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई।

सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार प्राप्त करने वाले किसानों में अल्केशन गोविंद, मधुसुदन रामचन्द्र, विनोद नाना पाटील, मंशाराम परसराम, राकेश प्रतापसिंह, जगदिश गिरधारी, नानाजी राजाराम चौधरी, पंढरी भगवान, संजय गोविन्द एवं रामलाल रमेश शामिल रहे।

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