रात में जंक फूड खाने से आपको हो सकती है ये गंभीर बीमारी, 100 में से 75% लोग करते हैं ये गलतियां!

अगर आप जंक फूड खाते हैं तो इससे केवल आपकी सेहत ही नहीं बल्कि नींद की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है। आइए समझते हैं इसके बारे में।

जंक फूड आमतौर पर विश्व भर में चिप्स, कैंडी जैसे अल्पाहार को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट फूड को भी जंक फूड की संज्ञा दी जाती है तो कुछ समुदाय जाइरो, तको, फिश और चिप्स जैसे शास्त्रीय भोजनों को जंक फूड मानते हैं। इस श्रेणी में क्या-क्या आता है, ये कई बार सामाजिक दर्जे पर भी निर्भर करता है। उच्चवर्ग के लिए जंक फूड की सूची काफी लंबी होती है तो मध्यम वर्ग कई खाद्य पदार्थो को इससे बाहर रखते हैं। कुछ हद तक यह सही भी है, खासकर शास्त्रीय भोजन के मामले में। सदियों से पारंपरिक विधि से तैयार होने वाले ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं

      चीटोज़ को भी जंक खाद्य श्रेणी में स्थान मिला है, क्योंकि ये औद्योगिक रसोई में ही निर्मित होते हैं व पैक किये जाते

लूथर बर्गर, बेकन चीज़ बर्गर में डोनट का प्रयोग होने पर भी उच्च शर्करा और वसा मात्रा होने से जंक खाद्य में रखा गया है
लूथर बर्गर, बेकन चीज़ बर्गर में डोनट का प्रयोग होने पर भी उच्च शर्करा और वसा मात्रा होने से जंक खाद्य में रखा गया है

रिसर्च के अनुसार जंक फूड आने से पिछले दस सालों में मोटापे से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है। इनमें केवल बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी शामिल है।

[1] जंक फूड में अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट, वसा और शर्करा होती है। इसमें अधिकतर तलकर बनाए जाने वाले व्यंजनों में पिज्जा, बर्गर, फ्रैंकी, चिप्स, चॉकलेट, पेटीज मुख्य रूप से शामिल हैं। वीएलसीसी की आहर विशेषज्ञ पल्लवी केअन अनुसार बर्गर में १५०-२००, पिज्जा में ३००, शीतल पेय में २०० और पेस्ट्री, केक में करीब १२० किलो कैलोरी होती है जो आजकल लोगों पर मोटापे के रूप में हावी हो रहा है। यह भी कहा गया है कि गर्भावस्था में गलत खानपान से आने वाले बच्चे को आजीवन मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर का खतरा हो सकता है। शोधकर्त्ताओं की टीम ने चूहों पर इस बारे में प्रयोग किया। उन्होंने मादा चूहों के एक समूह को गर्भावस्था और स्तनपान के समय, डोनट्स, माफिन, कुकीज, चिप्स और मिठाई जैसे प्रोसेस्ड जंक फूड खाने को दिए। वहीं गर्भवती मादा चूहों के दूसरे समूह को जंक फूड न देकर सामान्य खाद्य पदार्थ दिए गए। शोधकर्त्ताओं ने मादा चूहों के इन दोनों समूहों का तुलनात्मक अध्ययन किया। जिन मादाओं को जंक फूड दिए गए थे उनसे पैदा होने वाले बच्चों में कोलेस्ट्रॉल और रक्त में वसा का स्तर ज्यादा पाया गया। ध्यान योग्य है कि कोलेस्ट्रॉल और वसा दोनों ही चीजें हृदय रोग का जोखिम बढ़ा देती हैं। यही नहीं जंक फूड लेने वाली गर्भवती चुहियों के बच्चों में ग्लूकोज और इंसुलिन का स्तर भी बढ़ा हुआ पाया गया, जो टाइप-2 मधुमेह के खतरे को बढ़ाते हैं। ऐसी माताओं के बच्चे बड़े होने पर भी मोटापे से ग्रस्त रहे। यह स्टडी जरनल ऑफ फिजियोलॉजी के ताजा अंक में छपी है।

[2] जंक फूड के सेवन और मोटापा से महिलाओं में हारमोन की कमी हो जाती है जिससे वे बांझपन की शिकार हो सकती हैं।

[3] पोषण विशेषज्ञ और चिकित्सक जंक फूड का उपयोग घटाने और संतुलित आहार को बढ़ावा देने की कोशिशों में लगे रहते हैं। जंक फूड शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले १९७२ में किया गया था। इसका उद्देश्य था ज्यादा कैलोरी और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थो की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट करना। समय के साथ लोगों की इसमें रुचि बढ़ी लेकिन खाद्यान्न उत्पादन करने वालों पर खास असर नजर नहीं आया जो धीरे-धीरे इनकी किस्में बढ़ाते रहे। इसकी वजह जंक फूड का रखरखाव काफी आसान होना है। जंक फूड का प्रयोग हानिकारक नहीं है, बशर्ते खानपान में संतुलित आहार की कोई कमी न हो। आलू के चिप्स खा लेने में कोई बुराई नहीं, लेकिन पूरी तरह जंक फूड पर निर्भर होने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। फिर भी, जंक फूड बच्चों को काफी लुभाता है, इसे देखते हुए कई देशों में इनके विज्ञापनों पर नियंत्रण और निगरानी की व्यवस्था भी की गई है

 

अगर आप अनहेल्दी फूड खाते हैं तो इससे आपकी सेहत काफी प्रभावित हो सकती है और आप बीमार भी हो सकते हैं। नियमित रूप से जंक फूड का सेवन करना कई शारीरिक बीमारियों को जन्म दे सकता है। इससे न केवल आपके शरीर पर प्रभाव पड़ते हैं बल्कि बहुत सारे मानसिक प्रभाव भी पड़ते हैं और आपकी नींद की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है। इससे आपकी इम्यूनिटी भी प्रभावित हो सकती है।

एक रिसर्च में दिखाया गया है कि कैसे जंक फूड आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है। इस रिसर्च में भाग लेने वाले लोगों ने अन हेल्दी खाना खाया और डॉक्टरों के कहने के मुताबिक हेल्दी खाना भी खाया। इस स्टडी में ही बाद में देखने को मिला कि जिन लोगों ने जंक फूड खाया है उन लोगों को रात में अच्छी नींद नहीं आती है। ऐसा हेल्दी खाना खाने वाले लोगों में कम देखने को मिला।

डाइट का अच्छा न होना और नींद की गुणवत्ता अच्छी न होने से बहुत सी शारीरिक स्थितियों का रिस्क बढ़ सकता है। 15 वयस्क लड़कों ने इस स्टडी में भाग लिया और इनका वजन नॉर्मल था। सबसे पहले इनके रात्री नींद के तरीके को देखा गया और पाया गया कि हर कोई 7 से 9 घंटे की नींद प्राप्त कर पा रहा है। इन लोगों को फिर हेल्दी और अन हेल्दी डाइट दी गई। व्यक्ति की रोजाना की जरूरतों के हिसाब से दोनों तरह के फूड की कैलोरीज़ की मात्रा एक समान थी। अनहेल्दी फूड में शुगर और सैचुरेटेड फैट की मात्रा ज्यादा थी और इसमें प्रोसेस्ड फूड आइटम्स ज्यादा थे। यह सभी डाइट एक हफ्ते तक ली गई और इस दौरान सभी लोगों का नींद का समय और अन्य गतिविधियां ध्यान  रखा गया । जब दोनों डाइट को मिला कर खाया गया तब नींद में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला। ऐसा दूसरी डाइट पर स्विच करने से पहले देखने को मिला। जब प्रतिभागी हेल्दी डाइट के साथ साथ अन हेल्दी चीजों का भी सेवन कर रहे थे तब देखने को मिला कि गहरी नींद में स्लो वेव एक्टिविटी कम देखने को मिली।

ऐसा दूसरी रात में देखने को भी मिला जब भागीदारों ने दूसरी डाइट पर स्विच कर लिया। धीरे धीरे अन हेल्दी डाइट का सेवन करने वाले लोगों को कम गहरी नींद आने लगी। रिसर्चर्स के मुताबिक जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे ही इनसोम्निया (अनिद्रा) जैसी स्थिति भी देखने को मिलने लगी। इसलिए इसके निष्कर्ष के रूप में कहा गया कि नींद को प्रभावित करने में डाइट का अहम रोल रहता है। अगर डाइट हेल्दी होती है तो नींद भी अच्छी आती है और अगर आप पूरा दिन या फिर ज्यादा मात्रा में जंक फूड खा लेते हैं तो इससे आपकी नींद काफी ज्यादा प्रभावित हो सकती है और रात में सोने में दिक्कत आ सकती है

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